“बागपत के चिराग”, आजादी के आंदोलन में राष्ट्र प्रेम की गौरवगाथा बने सेनानियों का पहला विश्वकोष , प्रदेश का यह जिला विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है, क्योंकि इस जिले ने देश के कई महान वैज्ञानिक, स्वामी डालचंद जैसे प्रख्यात शिक्षाशास्त्री , अर्जुन अवाॅर्डी कई खिलाड़ी और नीरा आर्य एवं बाबा शाहमल जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया है। 1857 की क्रांति यहीं की बड़ौत तहसील से शुरू हुई, जो उस समय मेरठ का ही हिस्सा थी। इसी जिले के ढिकोली गाँव के 100 से ज्यादा युवक आजाद हिन्द फौज में भर्ती होने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आह्वान पर सिंगापुर पहुँच गए थे। पुस्तक में स्वतंत्रता सेनानियों के उन दिनों के रेखाचित्र भी बनाए गए हैं, जब वे स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई लड़ रहे थे। यह चित्रांकन जेलों के रिकाॅर्ड से प्राप्त सेनानियों के हुलिया, चित्र और वृद्धावस्था के चित्रों के आधार पर एक्सपर्ट चित्राकारों ने तैयार किए हैं।पुस्तक के कई रेखाचित्र 1946 में प्रकाशित पुस्तक ‘अगस्त सन् 42 का महान विप्लव’ से ज्यों के त्यों भी लिए गए हैं, जो अंग्रेजों के क्रूर अत्याचार के साक्षी हैं और ये चित्र 1946 में आँखों देखी घटनाओं के आधार पर तैयार किए गए थे। लगभग मूर्त रूप ले चुकी पुस्तक में इतिहास के साथ-साथ हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों का अति संक्षिप्त रूप से ऐसा खाका भी है, जिसे देखकर एवं पढ़कर उनके दिव्य दर्शन जैसी अनुभूति भी हो सकेगी।
Weight | 0.250 kg |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
Formate | Hardback |
ISBN | 978-93-92468-83-4 |
Language | Hindi |
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